Select Page

| वो परिंदा |

वो परिंदा…!!! एक खुला आसमान और बिना बंधन का परिंदा कोई डर नहीं फिर भी रहता है सहमा हुआ सा पंख अपने बांध रखे थे हमेशा एक दायरे में थोड़ा सा उड़कर लौट आता वो अपने पिंजरे में कभी खुद को उन्मुक्त का एहसास ना होने दिया जो दूर था दूर ही रखा कभी पास ना आने दिया अचानक...