by Anita Pathak | Hindi poem, Hindipoem, कविता
कविता आज इस दुनिया में जाने क्यों सभी परेशान हैं मन में हर तरह का उठ रहा एक हाहाकार हैक्यों ये मानव खुद में निश्छल नहीं रह पा रहा है क्यों वो जान बूझकर कर रहा दर्द का व्यापार है क्यों किसी के दर्द पर किसी की कटु मुस्कान है क्यों किसी कोमल हृदय को दे रहा चित्कार है...
by Anita Pathak | Hindi poem
एक नज़्म आज की इस दुनिया में लोग बहुत हैं जिसे दोस्त कह सकें वैसा कोई मिलता नहीं दर्द देने वाले तो बहुत मिल जाते हैं दर्द बांटने वाला कोई मिलता नहीं ज़िंदगी की रेस में सब जितना चाहते हैं हार बर्दाश्त करने वाला कोई मिलता नहीं गिराकर आपको खुद आगे निकल जाते हैं गिरते को...
by Anita Pathak | Hindi poem, Hindipoem, कविता
गहरे ज़ख्म कुछ गहरे ज़ख्म कभी नहीं भरते तू गले से लगा ले तो शायद थोड़ा सा सुकून मिल जाए नहीं चाहिए मुझको कभी ज़माने भर की खुशियां तुमसे एक हाथ पकड़कर थाम लो हम गिरते हुए भी संभल जाएं मोहब्बत की आजमाइश की जरूरत ही क्यों पड़नी इश्क़ तो वो जो आंखों से होकर सीधे दिल तक...