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|दिए की रौशनी|

दिए की रौशनी   दिए की रौशनी उस निःस्वार्थ प्रेम की तरह होती है जो किसी से बदले में कुछ नहीं मांगती। अपनी मद्धिम सी रौशनी से वो जीवन का एहसास दिलाती है। लेकिन कभी – कभी जब हवा किसी तूफान का रूप ले लेती है तो यही दीया किसी हाथ से उम्मीद करता है कि वो हाथ इसे...

|अपनी सोच का दायरा अपने तक सीमित रखना |

अपनी सोच का दायरा अपने तक ही सीमित रखना दुनिया में कई प्रकार के लोग होते हैं। विभिन सोच, प्रवृत्ति, स्वभाव और व्यक्तित्व के लोग। इनमें से एक किस्म होती है ” अपने मुंह मियां मिट्ठू”। ये भी एक तरह का मानसिक विकार होता है जिसमें व्यक्ति का दिमाग पूरी तरह...