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दिए की रौशनी

 

दिए की रौशनी उस निःस्वार्थ प्रेम की तरह होती है जो किसी से बदले में कुछ नहीं मांगती। अपनी मद्धिम सी रौशनी से वो जीवन का एहसास दिलाती है।

लेकिन कभी – कभी जब हवा किसी तूफान का रूप ले लेती है तो यही दीया किसी हाथ से उम्मीद करता है कि वो हाथ इसे अपने संरक्षण में सुरक्षित होने का एहसास दिलाए। उस वक्त अगर वो हाथ उस दीए को बुझने से बचा लेते हैं तो वो 🪔 फिर कई बार बिना तेल और बाती के भी अपनी लौ को आखिरी उम्मीद तक जलाए रखता है…

इसलिए अगर आपकी जिंदगी में कोई रिश्ता इस 🪔 की तरह हो तो उसे अपने प्रेम और स्नेह से हमेशा जलाए रखने की पूरी कोशिश करना क्यूंकि ढेर सारी artificial lightings एक बार हमारी आंखों को चका चौंध से भर सकती हैं लेकिन उनकी रौशनी को हम अपने हाथों से महफूज़ नहीं रख सकते, लाइट गई और सारी जगमगाहट खत्म… लेकिन 🪔 धीमे – धीमे ही सही पर अपनी रौशनी से घर में अंधेरा नहीं होने देता, बदले में सिर्फ आपके हाथ की सुरक्षा ही तो मांगता है।

इस दिवाली कोशिश करें कि उस 🪔 की लौ अगर बुझ रही हो तो अपने हाथों की सुरक्षा में उसकी लौ को बचाए रखें क्योंकि अति व्यस्त जिंदगी में कितना भी भाग लें लेकिन सुकून उस रिश्ते में ही मिलता है ठीक वैसे ही जैसे lightings पूरे मोहल्ले को रौशन कर सकती है लेकिन कोने को रौशन 🪔 ही करता है।