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  1. कविता

  2. आज इस दुनिया में जाने क्यों सभी परेशान हैं
    मन में हर तरह का उठ रहा एक हाहाकार हैक्यों ये मानव खुद में निश्छल नहीं रह पा रहा है
    क्यों वो जान बूझकर कर रहा दर्द का व्यापार है

    क्यों किसी के दर्द पर किसी की कटु मुस्कान है
    क्यों किसी कोमल हृदय को दे रहा चित्कार है

    क्या ज़रूरी है किसी के बर्बादी में मुस्कुराना
    क्यों सभी को पड़ी बस अपनी खुशी की मार है

    क्या ये दुनिया निस्वार्थ व सुंदर नहीं हो सकती
    क्यों यहां हो रही बस गलतियों की भरमार है

    चैन से जिएं और चैन से जीने दे क्या सही नहीं
    क्यों भला किसी का जीना करना दुश्वार है

    अरे! ज़िंदगी ही तो है क्यों किसी का बुरा करना
    बुरा कर कुछ पाया तो उसका मिलना बेकार है