एक नज़्म
आज की इस दुनिया में लोग बहुत हैं
जिसे दोस्त कह सकें वैसा कोई मिलता नहीं
दर्द देने वाले तो बहुत मिल जाते हैं
दर्द बांटने वाला कोई मिलता नहीं
ज़िंदगी की रेस में सब जितना चाहते हैं
हार बर्दाश्त करने वाला कोई मिलता नहीं
गिराकर आपको खुद आगे निकल जाते हैं
गिरते को संभालने वाला कोई मिलता नहीं
छोटे से इस दिल से दिल्लगी कर जाते हैं
दिल को समझ सके ऐसा कोई मिलता नहीं
जो भी आता है समझाकर चला जाता है
जो कभी समझ सके ऐसा कोई मिलता नहीं
आज हर इंसान मतलबी और होशियार है
साफ़ मन को पढ़ने वाला कोई मिलता नहीं
चलो खुश रहने की एक ना मुकम्मल कोशिश और की जाए
आंखों की नमी देख सके वैसा कोई मिलता नहीं
वो कहते हैं हमसे मिस्ल – ए – क़िताब लिखो
यहां हर्फ – ए – सुकूत समझने वाला कोई मिलता नहीं