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बिहार का गौरव – छठ पूजा

लोक आस्था का पर्व

दिवाली के छः दिन बाद छठ पूजा होती है। यह बिहार का महापर्व है जो पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है। इसमें सूर्य देव की पूजा होती है। सूर्य ऊर्जा का स्वरूप हैं और छठ पूजा से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह पर्व पूरी श्रद्धा , विश्वास , साफ-सफाई और पूरे लगन के साथ मनाया जाता है। ये आस्था की ही ताकत है कि 36 घंटे का निर्जला व्रत भी व्यक्ति निर्विघ्न पूरा कर लेता है। 

समानता का पर्व

ये वो पर्व है जिसे व्यक्ति सारे व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक या जातीय भेदभाव को भुलाकर एक साथ इसे मनाता हैं। नदी, कुंड, या तालाब में एक साथ खड़े होकर सूर्य देव के षष्ठी स्वरूप की उपासना करते हैं।

झुकने का अर्थ

पूरी दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है लेकिन छठ पूजा में पहले ढलते सूरज की पूजा करके ये संदेश दिया जाता है कि जो ढलता है वो उदीयमान भी अवश्य होता है। किसी कमजोर को हीन नहीं देखना चाहिए क्योंकि जो आज गिर रहा है कल वो आसमान में चमकने की ताकत भी रखता है।

पर्व नहीं विश्वास है

माना जाता है कि ये व्रत करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है। यह विश्वास है जिसने हर व्रतधारी को ईश्वर से जोड़ कर रखा है। कोई भी परेशानी हो व्यक्ति इस पर्व को हर हाल में करने की श्रद्धा रखता है कि इससे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और ये विश्वास ही है जो एक व्रत धारी को नई हिम्मत के साथ फिर खड़ा करता है।

आपसी प्रेम को बढ़ाता है

देश के किसी भी कोने में क्यों ना रहे एक बिहारी व्यक्ति लेकिन छठ के समय वो हर हाल में अपने परिवार के पास लौट ही आता है। आपसी प्रेम और सौहार्द्र को बनाए रखने में भी इस पर्व की बड़ी भूमिका रहती है। छठ व्रत धारी कोई एक होता है लेकिन ये पूरे परिवार और सभी के साथ से ही निर्विघ्न संपन्न होता है।

इसके मुख्य प्रसाद गुड़ के ठेकुआ की तो बात ही निराली है जो व्यक्ति के जीवन और परिवार में भी उस मिठास को जीवन पर्यंत बनाए रखता है।

दुनिया के लिए मिसाल

छठ पूजा आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। अनेकता में एकता, समानता, विश्वास, प्रेम, श्रद्धा और पारस्परिक लगाव को देखना और समझना हो तो एक बार छठ पूजा अवश्य देखनी चाहिए। इसमें शामिल होकर हम उन छोटे-छोटे मूल्यों का अर्थ समझ सकते हैं जिनसे हमें जीवन को सही और सकारात्मक दिशा देने में बहुत मदद मिलती है। छठ पूजा एक पर्व मात्र नहीं बल्कि एक परंपरा है जिसे एक व्यक्ति अपने आखिरी सांस तक प्रसन्नता और संतुष्टि के साथ निर्वाह करता है।