by Anita Pathak | Hindi poem, Hindipoem, कविता
गहरे ज़ख्म कुछ गहरे ज़ख्म कभी नहीं भरते तू गले से लगा ले तो शायद थोड़ा सा सुकून मिल जाए नहीं चाहिए मुझको कभी ज़माने भर की खुशियां तुमसे एक हाथ पकड़कर थाम लो हम गिरते हुए भी संभल जाएं मोहब्बत की आजमाइश की जरूरत ही क्यों पड़नी इश्क़ तो वो जो आंखों से होकर सीधे दिल तक...